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ख खेलें / लाल्टू
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|रचनाकार=लाल्टू
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<poem>खराब ख
ख खुले
खेले राजा
खाएं खाजा ।
खराब ख
की खटिया खड़ी
खिटपिट हर ओर
खड़िया की चाक
खेमे रही बाँट ।
खैर खैर
दिन खैर
शब खैर ।
</poem>
Rajeevnhpc102
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