Changes

अभी समय है / लाल्टू

1,266 bytes added, 02:26, 27 नवम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह= }} <poem>अभी समय है कि बादलों को शिका…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}
<poem>अभी समय है
कि बादलों को शिकायत सुनाएँ
धरती के रुखे कोनों की
मुट्ठियाँ भर पीड़ गज़ल कोई गाएँ

अभी समय है
आषाढ़ के रोमांच का मिथक
यह रिमझिम भ्रमजाल हटाएँ
सहज दिखता पर सच नहीं जो
सब झूठ है सब झूठ है चिल्लाएँ

अभी समय है
बिजली को दर्ज़ यह कराएँ
बिकती सड़कों पर सौदामिनी
उसकी गीली रात भूखी है
सिहरती बच्ची के बदन पर
शब्द कुछ सही बिछाएँ

अभी समय है
कुछ नहीं मिलता कविता बेचकर
कविता में कुछ कहना पाखंड है
फिर भी करें एक कोशिश और
दुनिया को ज़रा और बेहतर बनाएँ।</poem>
750
edits