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बचपन-3 / मुनव्वर राना

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मुफ़लिसी<ref>दरिद्रता, ग़रीबी</ref>चाह रही है मेरे घर में रहना
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ऐ ख़ुदा तू फ़ीस के पैसे अताअकर अता कर दे मुझे
मेरे बच्चों को भी यूनिवर्सिटी अच्छी लगी
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