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मेरी आँखों का नूर / आभा
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15:17, 29 नवम्बर 2009
जिनकी बड़ी-बड़ी आँखें
आज भी घूरती कहती हैं-
आंटी , मैं भी कहानी लिखूंगी
अपनी
अनिल जनविजय
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