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पिता-1 / चंद्र रेखा ढडवाल
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03:36, 30 नवम्बर 2009
मैं पा लेना चाहता हूँ
सात समंदर पार के
नीलम देश की
राजकन्ता
राजकन्या
मेरी हथेलियों पर बो दो सरसों के बीज
जो रातों-रात भरी-भरी फलियों से लदी
पौध हो जाएँ.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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