गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सियहकार थे बासफ़ा हो गए हम / हसरत मोहानी
1 byte removed
,
07:32, 5 दिसम्बर 2009
मगर क़ैदे-ग़म से रिहा हो गए हम
</poem>
{{KKMeaning }}
</poem>
गंगाराम
376
edits