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सियहकार थे बासफ़ा हो गए हम / हसरत मोहानी
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07:33, 5 दिसम्बर 2009
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तुफ़ैले-इश्क<ref >प्रेम का फल</ref> है 'हसरत' ये सब मेरे नज़दीक
तेरे कमाल की शोहरत जो दूर-दूर हुई
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गंगाराम
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