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इसी तट पर / शांति सुमन

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अपरिचय का आकाश तोड़ें<br>
एक लंबा अतराल जोड़ें<br>
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कहाँ बहुत मिलते हैं, फुरसत के दिन<br>
फंसे हैं किताबों में तितली के पिन<br>
पिछले छूटे सवाल कोड़ें<br>
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धूप-हवा-बिजली सी लगती बातें<br>
पदमावत की कथा सी जगती रातें<br>
दुखते सारे मिसाल छोड़ें<br>
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अंकुर की प्यास लिए हरियाये खेत<br>
कहीं दूर फेंकें ये ओसायी रेत<br>
दिशाएं तरंगों की मोड़ें<br>

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