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सुख-सुहाग की दिव्य-ज्योति से / नरेन्द्र शर्मा
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07:09, 8 दिसम्बर 2009
|रचनाकार=नरेन्द्र शर्मा
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<poem>
सुख सुहाग की दीव्य-ज्योति से,
::घर-आंगन मुस्काये,
ज्योति चरण धर कर दीवाली,
::घर-आंगन नित आये
</poem>
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