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|रचनाकार=नरेन्द्र शर्मा
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सुख सुहाग की दीव्य-ज्योति से,
 
::घर-आंगन मुस्काये,
 
ज्योति चरण धर कर दीवाली,
 
::घर-आंगन नित आये
</poem>
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