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स्मृति / अनिल जनविजय

29 bytes added, 16:54, 9 दिसम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिल जनविजय
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे / अनिल जनविजय }}{{KKCatKavita}}<poem>
धीरे से मैं
 
दीवार की खाल खुरच देता हूँ
 
जहाँ कभी लिखा गया था
तेरा नाम
तेरा नाम</poem>
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