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सेब / त्रिलोचन

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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>सेब अब भारत में होता है
जहाँ भी पहाड़ हैं
वहाँ भूमि इस को
अनुकूल मिलती है
ख़ास कर तराई में
हिमालय की।

पहले यह फल अमरीकी
पहचाना जाता था
अब तो सार्वभौम है
भूगोल की जिव्हाए
बखानती हैं इस का स्वाद।

इस के बगीचे
कहाँ कैसे हैं
विक्रेता ग्राहकों को
समझाते हैं।

बाजारों में
सेब सादर सजा कर
दिखाते हैं और रखते हैं
दाम पूछ कर लोग लेते हैं।

24.02.2003</poem>
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