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आया के प्रति / अलेक्सान्दर पूश्किन
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06:54, 25 दिसम्बर 2009
कभी तुम्हें लगता है जैसे छाया-सी
:::सहसा है सम्मुख आती...
'''रचनाकाल : 1826'''
</poem>
अनिल जनविजय
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