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नए सिरे से / नागार्जुन

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|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
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नए सिरे से
 
घिरे-घिरे से
 
हमने झेले
 
तानाशाही के वे हमले
 
आगे भी झेलें हम शायद
 
तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से
 
::::::घिरे-घिरे से
 
"बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद"
 
"शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद"
 
"फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद"
 
"तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद"
 
 
(रचनाकाल : 1977)
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