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मानवता की कमी / रमा द्विवेदी

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रमा द्विवेदी}}{{KKCatKavita}}<poem>देशों का सरताज़ अमेरिका, प्रगति का अंबार अमेरिका, अस्त्रों का भंडार अमेरिका, प्रक्रति का मणिहार अमेरिका।
{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रमा द्विवेदी}}यहाँ मानव है पर समाज नहीं, संबंध हैं पर विश्वास नहीं, दिलों में प्यार की चाह है, पर उसमें मिठास नहीं।
व्यावहारिकता रिश्तों का आधार है,
औपचारिकता यहाँ का शिष्ठाचार है,
सरलता,ईमानदारी सबसे बडी नियामत है,
हेलो,गुड्मार्निंग,थैंक्स ही सबसे बडा प्यार है।
देशों का सरताज़ अमेरिका,<br>प्रगति का अंबार अमेरिका,<br>अस्त्रों का भंडार अमेरिका,<br>प्रक्रति का मणिहार अमेरिका।<br><br>यहाँ मानव है पर समाज नहीं,<br>संबंध हैं पर विश्वास नहीं,<br>दिलों में प्यार की चाह है,<br>पर उसमें मिठास नहीं।<br><br>व्यावहारिकता रिश्तों का आधार है,<br>औपचारिकता यहाँ का शिष्ठाचार है,<br>सरलता,ईमानदारी सबसे बडी नियामत है,<br>हेलो,गुड्मार्निंग,थैंक्स ही सबसे बडा प्यार है।<br><br>सब कुछ यहाँ यंत्रवत है,<br>प्यार ,व्यापार में अंतर नहीं,<br>रिश्ते अटूट बंधन में बंधें,<br>यहाँ ऐसा कोई तंत्र नहीं।<br><br>  स्वतंत्रता यहाँ का सबसे बडा उपहार है,<br>फैशन का यहाँ कोई न पारावार है,<br>कच्ची उम्र में"डेटिंग" करते हैं यहाँ,<br>सबसे ज्यादा प्रचलित यह शिष्ठाचार है।<br><br>  काश! यहाँ पर भी सामाजिकता होती,<br>तब किसी भी तरह की औपचारिकता न होगी,<br>सब अपने आप में डूबे हुए हैं यहाँ,<br>मानवता की ऐसी कमी कहीं देखी न होगी। <br><br/poem>
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