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रोज़ ही मैं सोचती / चंद्र रेखा ढडवाल
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|संग्रह=औरत / चंद्र रेखा ढडवाल
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<poem>
रोज़ ही मैं सोचती
तुम्हें राक्षस के महल में
द्विजेन्द्र द्विज
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