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|संग्रह= अंतराल / महेन्द्र भटनागर
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<poem>
 
:घाव पुराने पीड़ा के
:जाने-अनजाने में सबके
:हर उर में
:दुख-दर्द भरे !
 '''रचनाकाल:1949</poem>
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