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दृष्टि / संतरण / महेन्द्र भटनागर
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|संग्रह=संतरण / महेन्द्र भटनागर
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माना, हमने धरती से नाता जोड़ा है,
<br>
पर, चाँद-सितारों से भी प्यार न तोड़ा है,
<br>
सपनों की बातें करते हैं हम, पर उनको
<br>
सत्य बनाने का भी संकल्प न थोड़ा है !<
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