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|संग्रह=राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर
}}
{{KKCatKavita}}ओ प्रिय<brpoem>ओ प्रिय सुख-गंध भरी<br>मदमत्ता हवा! <br> मेरी ओर बहो _<br>हलके-हलके! <br> बरसाओ<br>मेरे <br> तन पर, मन पर<br>शीतल छींटें जल के! <br> ओ प्यारी<br>लहर-लहर लहराती<br>उन्मत्ता हवा! <br> नि:संकोच करो<br>बढ़ कर उष्ण स्पर्श<br>मेरे तन का! <br> ओ, सर-सर स्वर भरती<br>मधुरभाषिणी<br>मुखर हवा! <br> चुपके-चुपके<br>मेरे कानों में<br>अब तक अनबोला<br>कोई राज़ कहो <br> मन का! <br> आओ! <br> मुझ पर छाओ! <br> खोल लाज-बंध<br>आज<br>आवेष्टित हो जाओ, <br> आजीवन<br>
अनुबन्धित हो जाओ!
</poem>
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