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मत स्पर्श जगाईए / ओमप्रकाश सारस्वत
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|संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओमप्रकाश् सारस्वत
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इस मादक मौसम में
यूँ मत इठलाइए,
अब आप कृपा करके
मत स्पर्श जगाइए
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