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आशा / रामधारी सिंह "दिनकर"
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10:51, 2 जनवरी 2010
::"घूँट यह पी लो कि संकट जा रहा है।
::आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है"।
::(३)
सभी दुखों की एक महौषधि धीरज है,
सभी आपदाओं की एक तरी आशा।
</poem>
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