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<Poem>
आप जो-जो कहेंगे,
मैं बिल्कुल वही-वही करूंगा!
वही-वही खाऊंगाखाऊँगा, वही-वही पहनूंगापहनूँगा
वही-वही लगाकर,
निकलूंगा निकलूँगा सैर को!छोड़ दूंगादूँगा, अपनी निजी ज़मीन भीऔर चला जाऊंगा जाऊँगा 'टूं' भी किए बिना!
अगर आप कहेंगे,
गले में रस्सी डालकर
झूलते रहो सारी रात-- वही करूंगाकरूँगा!
लेकिन, अगले दिन, जब आप हुक्म देंगे,
आओ, अब उतर आओ!
तब मुझे उतारने के लिए,
आपको और लोगों की ज़रूरत पड़ेगी,
मैं उतर नहीं पाऊंगापाऊँगा, अपने आप, अकेले!
आपसे निवेदन है,