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|संग्रह=जेबों में डर / अश्वघोष
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[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}
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द्वार खोलो दैड़कर दौड़कर आ गया अख़बार
छटपटाती चेतना पर छा गया अख़बार
हर तरफ ख़ामोशियों के रेंगते अजगर
एक सुर्खी फ़ेककर सुर्ख़ी फेंककर दिखला गया अख़बार
कल पुलिस की लाठियों से मर गया बुधिया
लाश ग़ायब है अभी बतला गया अख़बार
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