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हे मेरे स्वदेश! / रामधारी सिंह "दिनकर"
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15:27, 5 जनवरी 2010
जल सींचो, सुधा निकट लाओ!
किस्मत स्वदेश की जलती है,
दौड़ो
,
!
दौड़ो
,
!
आओ
,
!
आओ
,
!
नारी-नर जलते साथ, हाय!
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