|संग्रह=सामधेनी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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घटा फाड़ कर जगमगाता हुआ
::आ गया देख, ज्वाला का बान;
खड़ा हो, जवानी का झंडा उड़ा,
::ओ मेरे देश के नौजवान!
सहम करके चुप हो गये थे समुंदर
::अभी सुन के तेरी दहाड़,
जमीं हिल रही थी, जहाँ हिल रहा था,
::अभी हिल रहे थे पहाड़;
अभी क्या हुआ? किसके जादू ने आकर के
::शेरों की सी दी जबान?
खड़ा हो, जवानी का झंडा उड़ा,
::ओ मेरे देश के नौजवान!
खड़ा हो, कि पच्छिम के कुचले हुए लोग
::उठने लगे ले मशाल,