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|रचनाकार=गँग
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{{KKCatKavitaKKCatKavitt}}[[Category:कवित्त]]
<poem>
उझकि झरोखे झाँकि परम नरम प्यारी ,
::फाँसी ऎसी लटनि लपेटि मन लै गई ।
'''गँग का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।'''
</Poem>