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उझकि झरोखे झाँकि परम नरम प्यारी / गँग
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05:25, 16 जनवरी 2010
|रचनाकार=गँग
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[[Category:कवित्त]]
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उझकि झरोखे झाँकि परम नरम प्यारी ,
::फाँसी ऎसी लटनि लपेटि मन लै गई ।
'''गँग का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
'''
</Poem>
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