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18:29, 23 जनवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
स्त्री की
दुनिया में
सब कुछ है
घर-परिवार
नाते-रिश्ते
समाज-संसार
बस नहीं है
वह खुद...।
</poem>