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नींद / रंजना जायसवाल

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<poem>
मैं
पढा़ई पूरी करने के बाद सोऊँगी
सोऊँगी ज़रूर नौकरी मिलने के बाद

पहले विवाह करके घर तो बसा लूँ
भेज तो लूँ बच्चे को स्कूल
पढा़-लिखाकर बना तो दूँ
उसे अफसर
विवाह ही कर दूँ उसका
फिर पोते के साथ खूब सोऊँगी

यही सोचते-सोचते गुज़र गई
तमाम उम्र...

और अब नींद नहीं आती।
</poem>