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14:16, 24 जनवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आओ...
फिर एक बार
मिलकर देखें अक्स
दर्पण में साथ - साथ
कितने बदले तुम
कितने बदले हम
कितने बदले गए हालात...।
</poem>