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14:46, 24 जनवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
प्रेम
ख़त्म नहीं होता
कभी...
दुःख
उदासी
थकान
अकेलेपन को
थोडा़ और बढा़कर
ज़िन्दा रहता है...।
</poem>