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साँचा:KKPoemOfTheWeek

287 bytes added, 13:30, 26 जनवरी 2010
<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ-1अय तिरंगे शान तेरी<br>&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[मनीषा पांडेयजगदीश तपिश]]</td>
</tr>
</table>
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
रेशम के दुपट्टे में टाँकती हैं सिताराअय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम देह मल-मलकर नहाती हैं,तू हमारा दिल जिगर है तू हमारी जान है करीने से सजाती हैं बालतू भरत है तू ही भारत तू ही हिन्दुस्तान है आँखों में काजल लगाती हैंअय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...तू हमारी आत्मा है तू हमारी जान है मन-ही-मन मुस्‍कुराती हैं अकेले मेंतेरी खुशबू से महकती देश की माटी हवा बात-बेबात चहकतीहर लहर गंगा की तेरे गीत गाती है सदा आईने तू हिमालय के शिखर पर कर रहा अठखेलियां तेरी छांव में निहारती अपनी छातियों कोथिरकती प्यार की सौ बोलियां कनखियों सेतू हमारा धर्म है मजहब है तू ईमान है ख़ुद ही शरमा‍कर नज़रें फिराती हैं प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...जागरण है रंग केसरिया तेरे अध्यात्म का चक्र सीने पर है तेरे स्फुरित विश्वास का डाकिए भारती की आंख का करती हैं इंतज़ारतारा बना है रंग हरा मन-तू दीवाली तू ही-मन लिखती हैं जवाबहोली और तू ही दशहरा आने वाले ख़त काआस्था है तू जवानों की वतन की आन है पिछले दफ़ा मिले एक चुंबन तू शहीदों की स्‍मृतिशहादत से लिपटकर जब चला हीरे भारती के लाल की तरह संजोती हैं अपने भीतरतुरबत से उठ के जब चला प्‍यार आंख भर आई करोडों सर झुके सम्मान में डूबी हुई लड़कियाँ... प्‍यार देखते हैं हम तुझे हर वीर के मन प्राण में डूबी हुई लड़कियाँनदी हो जाती हैंऔर पतंग भीकल-कल करती बहती हैंनाप लेती देश का बचपन जवानी तुझ पे सब कुर्बान है सारा आसमानकिसी रस्‍सी से नहीं बंधतीप्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
</pre>
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</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
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