{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मुकेश जैन |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>छोटा बच्चा रोता है<br /> उसको भूख लगी है<br />घंटों चढ़ी पतीली<br /> कब उतरेगी<br /> चूल्हे की न-आगी भी<br />शान्त हो चुकी कब की<br /> अम्मा, मुन्ने को क्यो भरमाती हो.<br /> हो। अम्मा कहती<br /> आ जाने दो उसका बाबा<br /> वह शायद कुछ गेहूँ लाये<br /> लाए सुबह जब वह निकला था<br /> सट्टे पर बीड़ी देने<br /> मैने उसको जता दिया था<br /> घर में नहीं है इक दाना गेहूँ,<br /> वह आया नशे में धुत्त<br /> गाली बकता<br /> - साली इत्ती-सी बीड़ी बनाती<br /> मेरी पूरी भी दारू नहीं आती<br /> पिटती अम्मा<br /> अपना भाग्य कोसा करती<br /> फिर, आधी रात तक<br /> उसकी ऊँगलियाँ उँगलियाँ सूपे पर चलती रहतीं
बच्चा रोता<br /> पानी पी कर सो जाता है.है।
'''रचनाकाल''': 16/अप्रेल/1988