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अमिताभ त्रिपाठी ‘अमित’

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*[[रात्रि के अंन्तिम प्रहर तक तुम न मुझसे दूर जाना / अमित]]
*[[ स्मृति के वे चिह्न उभरते हैं कुछ उजले कुछ धुंधले-धुंधले / अमित]]
*[[ कैसी हवा चली उपवन में सहसा कली-कली मुरझाई / अमित]]*[[ प्रीति अगर अवसर देती तो हमनें भाग्य संवारा होता / अमित]]*[[ पथ जीवन का पथरीला भी, सुरभित भी और सुरीला भी / अमित]]*[[ तुम मुझको उद्दीपन दे दो गीतों का उपवन दे दूँगा / अमित]]*[[ अपने दोष दूसरों के सिर पर मढ़ कर / अमित]]
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