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असाध्य वीणा / अज्ञेय / पृष्ठ 5
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17:27, 22 मई 2007
एक किसी को जाल-फँसी मछली की तड़पन --<br>
एक अपर को चहक मुक्त नभ में उड़ती चिड़िया की ।<br>
एक तीसरे को मंडी की ठेलमेल, गाहकों की
आस्पर्धा
अस्पर्धा
-भरी बोलियाँ<br><br>
चौथे को मन्दिर मी ताल-युक्त घंटा-ध्वनि ।<br>
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Ramadwivedi