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बाबू! औरत होना पाप है पाप / रवीन्द्र प्रभात
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06:36, 5 फ़रवरी 2010
उमगती जब कभी
पास आती थी
बाँध
बेंध
जाती थी देह का पोर-पोर
अपनी शरारती चितवन से ।
रवीन्द्र प्रभात
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