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जो शीशे का मकान रखता है / रवीन्द्र प्रभात
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|रचनाकार=रवीन्द्र प्रभात
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'''
जो शीशे का मकान रखता है ,
वही पत्थर की ज़ुबान रखता है ।
रवीन्द्र प्रभात
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