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नासमझ यह मोहन ठकुरी / मोहन ठकुरी
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|रचनाकार=केदार गुरुंग
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उसके अपने कभी अपने नही हुए
(अनुवाद : स्वयं )
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रवीन्द्र प्रभात
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