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प्रतीक्षा / अशोक वाजपेयी
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19:45, 7 फ़रवरी 2010
हरी पत्तियों का नीरव उजला गान है,
प्रतीक्षा
दरवाज़े
के
पर
दस्तक के अनसुने रहने पर
छोड़े गए शब्द हैं -
</poem>
अनिल जनविजय
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