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नासमझ यह मोहन ठकुरी / मोहन ठकुरी
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11:07, 9 फ़रवरी 2010
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !
'''मूल नेपाली भाषा से अनुवाद :
स्वयं कवि द्वारा
विर्ख खड़का डुवर्सेली
<Poem>
रवीन्द्र प्रभात
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