Changes

दर्द बस्ती का / विनोद तिवारी

122 bytes added, 04:03, 13 फ़रवरी 2010
*[[आँखें तो ढूँढती रहीं सपन-सपन-सपन / विनोद तिवारी]]
*[[कुछ चाल बाज़ ले उड़े पते ख़ुशियों से भरे ख़ज़ानों के / विनोद तिवारी]]
*[[इस शहर में कुछ नई बातें हुई हैं / विनोद तिवारी]]
*[[क़ीमतें चढ़ती गई हैं इस क़दर बाज़ार की / विनोद तिवारी]]
*[[इस शहर की हर गली में बस रहे बीमार लोग / विनोद तिवारी]]