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मात्र मन न हो तो / नोर्जांग स्यांगदेंन
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06:34, 13 फ़रवरी 2010
फर्क नहीं पड़ता है कितना भी .
'''मूल नेपाली से अनुवाद:
बिरख
बिर्ख
खड़का डुबर्सेली'''
<Poem>
रवीन्द्र प्रभात
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