गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सिलसिला ज़ख्म ज़ख्म जारी है / अख़्तर नाज़्मी
3 bytes removed
,
15:51, 14 फ़रवरी 2010
वैसे मज़मून इख्तियारी है
रेत के घर तो
बेह
बह
गए नज़मी
बारिशों का खुलूस जारी है
</poem>
Sandeep Sethi
Delete, Mover, Uploader
894
edits