<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2> <font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td> '''शीर्षक: बलि-बलि जाऊँकिस तरह मिलूँ तुम्हें<br> '''रचनाकार:''' [[श्रीधर पाठकपवन करण]]</td>
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<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
1.किस तरह मिलूँ तुम्हें
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँक्यों न खाली क्लास रूम मेंबलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँकिसी बेंच के नीचेहरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँऔर पेंसिल की तरह पड़ामेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा कातुम चुपचाप उठाकरमन का, मँदिरवा का प्यारा बसैयामैं बलि-बलि जाऊँभारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ रख लो मुझे बस्ते में
2.क्यों न किसी मेले मेंऔर तुम्हारी पसन्द के रंग मेंरिबन की शक़्ल में दूँ दिखाईऔर तुम छुपाती हुई अपनी ख़ुशीखरीद लो मुझे
भोली-भोली बतियाँ, साँवली सुरतियाया कि कुछ इस तरह मिलूँकाली-काली ज़ुल्फ़ोंवाली मोहनी मुरतियाजैसे बीच राह में टूटीमेरे नगरवा का, मेरे डगरवा कातुम्हारी चप्पल के लिएमेरे अँगनवा का, क्वारा कन्हैयामैं बलि-बलि जाऊँभारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँबहुत ज़रूरी पिन
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