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कितनी पी कैसे कटी रात / राहत इन्दौरी
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04:50, 15 फ़रवरी 2010
मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ
कुझे
मुझे
होश नहीं
आंसुओं
आँसुओं
और शराबों में गुजारी है हयात
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं
जाने क्या टूटा है
,
पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं
Sandeep Sethi
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