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अनायास ही / कुमार सुरेश

9 bytes added, 15:21, 15 फ़रवरी 2010
 
== अनायास ही ==
हम इस बक्त भी वहा कही नहीं है
जीवन हर हार रहा है जहा जहाँ म्रत्यु से
फिलवक्त इस जगह पर
हम इतने यह और उतने वह
इतना बनाया और इकठ्ठा किया
क्योकि अनायास ही जहा जहाँ मौजूद थे
वह सही वक्त और सही जगह थी
गलत वक्त गलत जगह पर कभी नहीं थे हम </poem>
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