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03:16, 17 फ़रवरी 2010 एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे<br />
खिलता गुलाब, जैसे<br />
शायर का ख्वाब, जैसे<br />
उजली किरन, जैसे<br />
बन में हिरन, जैसे<br />
चाँदनी रात, जैसे<br />
नरमी की बात, जैसे<br />
मन्दिर में हो एक जलता दिया, हो!<br />
ओ... एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा!
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे<br />
सुबह का रूप, जैसे<br />
सरदी की धूप, जैसे<br />
वीणा की तान, जैसे<br />
रंगों की जान, जैसे<br />
बल खाये बेल, जैसे<br />
लहरों का खेल, जैसे<br />
खुशबू लिये आये ठंडी हवा, हो!<br />
ओ... एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा!
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे<br />
नाचता मोर, जैसे<br />
रेशम की डोर, जैसे<br />
परियों का राग, जैसे<br />
सन्दल की आग, जैसे<br />
सोलह श्रृंगार, जैसे<br />
रस की फुहार, जैसे<br />
आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता नशा, हो!<br />
ओ... एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा!<br />
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा!<br />