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प्रकृति की ओर / भरत प्रसाद
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10:02, 17 फ़रवरी 2010
:
सुना है-
:
ममता के स्वभाववश
:
माता की छाती से
:
झर-झर दूध छलकता है
:
मैं तो अल्हड़ बचपन से
:
झुकी हुई सांवली घटाओं में
:
धारासार दूध बरसता हुआ
:
देखता चला आ रहा हूँ।
:
आत्मविभोर कर देने वाला
:
यह विस्मय
:
मुझे प्रकृति के प्रति
:
अथाह कृतज्ञता से
:
भर देता है।
जय कौशल
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