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23:37, 19 फ़रवरी 2010 मोरा गोरा अंग लइ ले, मोहे शाम रंग दइ दे<br />
छुप जाऊँगी रात ही में, मोहे पी का संग दइ दे<br />
एक लाज रोके पैयाँ , एक मोह खींचे बैयाँ<br />
जाऊँ किधर न जानूँ, हम का कोई बताई दे<br />
बदरी हटा के चंदा, चुपके से झाँके चंदा<br />
तोहे राहू लागे बैरी, मुस्काये जी जलाइ के<br />
कुछ खो दिया है पाइ के, कुछ पा लिया गवाइ के<br />
कहाँ ले चला है मनवा, मोहे बाँवरी बनाइ के