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{{KKFilmRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
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<poem>
है तेरा वहाँ कौन सभी लोग हैं पराए
परदेस की गरदिश गर्दिश में कहीं तू भी खो ना जाए
काँटों भरी डगर है तू दामन बचाना
ओ जानेवाले...
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