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बंदिनी / ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना
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06:17, 21 फ़रवरी 2010
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{{KKFilmRachna
|रचनाकार=
गुलज़ार
}}
<poem>
है तेरा वहाँ कौन सभी लोग हैं पराए
परदेस की
गरदिश
गर्दिश
में कहीं तू भी खो ना जाए
काँटों भरी डगर है तू दामन बचाना
ओ जानेवाले...
Shrddha
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