ऐ हवा कुछ तो बता<br />
जानेवालों का पता<br />
काली घटाओ तुम छू के पहाड़ों को<br />
लौट आना<br />
हाँ तुम लौट आना<br />
जंगल से जाती पगड़ण्डियों पे -२<br />
देखो तो शायद पाँव पड़े हों<br />
कोहरे की दूधिया ठडीं गुफ़ा में<br />
बादल पहन के शायद खड़े हों<br />
हौले से कानों में मेरा कहा कहना<br />
लौट आना<br />
हाँ तुम लौट आना<br />
रिसने लगा है झीलों का पानी<br />
घुलने लगा है शाम का सोना<br />
कहाँ से थामूँ रात की चादर<br />
कहाँ से पकड़ूँ धूप का कोना<br />
जाइयो पास उनके मेरा कहा कहना<br />
लौट आना<br />
हाँ तुम लौट आना<br />