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ऐसे चुप हैं के ये मंज़िल भी कड़ी हो जैसे / फ़राज़
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02:50, 23 फ़रवरी 2010
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
ऐसे चुप हैं
के
कि
ये मंज़िल भी कड़ी हो जैसे
तेरा मिलना भी जुदाई कि घड़ी हो जैसे
Sandeep Sethi
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